भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान का बांग्लादेश प्लान, दोनों ने रची ऐसी साजिश, सुनकर रह जाएंगे हैरान News18 हिंदी
आरक्षण को लेकर छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ तो सत्ता के लिए बंटी राजनीति को साध कर चीन और पाकिस्तान ने बांग्लादेश में खेल कर दिया. इन दोनों का नाम इस साजिश में शामिल होने का कई रिपोर्ट में दावा किया गया है. अब चीन की कोशिश होगी कि बांग्लादेश की नई सरकार उसकी कठपुतली की तरह काम करे. बांग्लादेश (Bangladesh) में हुए तख्ता पलट के बाद शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं.
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इसके बाद संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश संबंधों को “नई ऊंचाइयों” पर ले जाएंगे. अदानी पर लगे आरोपों को अमेरिका और भारत के संबंधों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. अदानी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों को लेकर विपक्ष सवाल उठाता रहा है.
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भारत को उस वक़्त और तगड़ा झटका लगा था जब बांग्लादेश ने ढाका स्टॉक एक्सचेंज के 25 फ़ीसदी हिस्से को शंघाई और शेनज़ेन स्टॉक एक्सचेंज को 11 करोड़ 90 लाख डॉलर में बेच दिया जबकि भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को नहीं दिया था. Quotex Bangladesh इसके तहत मालदीव ने भारतीय कंपनी जीएमआर इंफ़्रास्ट्रक्चर से एयरपोर्ट बनाने का ठेका लेकर चीन को दे दिया था. बांग्लादेश में इसी साल दक्षिणी और उत्तरी बांग्लादेश को जोड़ने वाला पुल बनकर तैयार हो जाएगा. छह किलोमीटर लंबा यह पुल दोनों इलाक़ों को सड़क और रेल के ज़रिए जोड़ेगा.
जानकार ये भी चेतावनी दे रहे हैं कि चीन के पैसे पर बढ़ती निर्भरता ढाका को बीजिंग के आगे कमजोर कर सकती है. आलोचक यहां श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट का उदाहरण दे रहे हैं जो अब चीन के नियंत्रण में है. श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए चीन से आठ अरब डॉलर का कर्ज लिया था. लेकिन यह योजना कारोबारी लिहाज से नाकाम रही जिसके चलते श्रीलंका ने इस पोर्ट की बड़ी हिस्सेदारी चीनी कंपनी को सौंप दी. पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों ने आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. उस आंदोलन के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था.
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ज्यादातर भारतीयों का मानना है कि वे एक बेहतर कल के हकदार हैं – शायद जरूरी नहीं कि उनके लिए, लेकिन अगली पीढ़ी के लिए. इसके लिए उन्हें मामलों को अपने हाथों में लेने की जरूरत है. वे सरकार या किसी सिस्टम के काम करने का इंतजार नहीं कर सकते. एप्पल उतना लोकप्रिय नहीं था और कनेक्टेड टीवी अभी तक नहीं आए थे. इसलिए हमने एंड्रॉयड फोन के लिए डिजाइन करने का फैसला किया. कुछ लोग इसे नहीं देख पाएंगे, लेकिन मुझे ऐसा कुछ भी करने में कोई दिलचस्पी नहीं है जो सिर्फ एक छोटे, कुलीन वर्ग के लोगों को आकर्षित करे.
शेख हसीना ने चीन के साथ संबंध प्रगाढ़ करते रहने के बावजूद भी भारत के साथ संबंधों को हमेशा तरजीह दी थी. सत्ता परिवर्तन के बाद अगर ढाका की रणनीति बदलती है, तो भारत के लिए टेंशन बढ़ सकती है. बांग्लादेश में निवेश करने का अनुरोधचर्चा के दौरान मोहम्मद यूनुस ने तुर्किए से बांग्लादेश में निवेश करने का अनुरोध किया और तुर्किए से उनके देश के युवा कार्यबल का उपयोग करने का सुझाव दिया.
विदेश और सामरिक मामलों के जानकार कहते हैं कि वो कोरोना काल ही था जब भारत ने बांग्लादेश के साथ पर्दे के पीछे से कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे. इससे बांग्लादेश नाराज़ हो गया क्योंकि पिछले साल ही उसने भारत से तीन करोड़ वैक्सीन के लिए समझौता कर लिया था. बाद में सीरम इंस्टिट्यूट ने बयान दिया कि वे समझौते के अनुरूप बांग्लादेश को वैक्सीन देंगे. लेकिन बावजूद इसके साल 2019 में बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में तल्ख़ी तब देखने को मिली जब केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून पारित किया.
आप यह देखने की कोशिश करते हैं कि वे आपको कहां ले जा रहे हैं, या वे कहां सही नहीं हैं. उदय शंकर ने भारत में टीवी क्रिकेट कवरेज (Cricket Coverage) को भी बदल दिया और भारतीय मूल के खेल कबड्डी (Kabaddi) को लोकप्रिय बनाया, जिससे यह क्रिकेट के बाद भारत में दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल बन गया. उनके नेतृत्व में Star ने वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म Hotstar (अब Disney+ Hotstar) लॉन्च किया. GIS के कार्यक्रम में देश के कई दिग्गज उद्योगपति शामिल होंगे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर ये सौदा अदानी समूह को देने के लिए दबाव बनाया गया था. अभी तक स्पष्ट नहीं है कि आने वाली ट्रंप सरकार का इन मामलों पर क्या रुख़ होगा. ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं और दोनों एक दूसरे को दोस्त कहते हैं. लेकिन ट्रंप अमेरिकी सामानों पर भारत के टैरिफ लगाने को पसंद नहीं करते हैं. बांग्लादेश में चुनाव कब होंगे ये आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन इस अंतरिम सरकार के पास चुनाव कराने के साथ-साथ एक बड़ी ज़िम्मेदारी ये है कि वो अल्पसंख्यकों के साथ हो रही हिंसा को रोके. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया स्टडीज़ के प्रोफेसर संजय भारद्वाज मानते हैं कि मोहम्मद यूनुस के भारत के साथ कैसे रिश्ते होंगे इसे लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी.